تجلی اوصاف امام علی در ادب فارسی
فهرست مطالب
پیش درآمد
در ثنای علی نامه
علی 7
«آ»
آرامش دلها
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آیینهی جمال یزدان
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آسمان آفتاب
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آینهی خدانما
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آسمان لافتی
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آینهی ذات كردگار
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آسمان عدل پرور
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آینهی سكندر
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آسمان آفتاب
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آینهی سرّ خدا
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آفتاب كبریا
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آینهی عبرت
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آفتاب شرع
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آینهی غیب نما
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آفتاب عالم آسمان
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آیه اكبر
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آفتاب فروزان
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«الف»
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آگاه اسرار
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ابالائمه المؤمنین
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آمر به معروف
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ابوالحسن
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آیت پروردگار
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اختر برج امامت
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آیت اجلال خدا
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استاد طریقت
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آیت ایمان
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اسدالله
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آیت اَسماء خدا
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اسم اعظم
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آیت فضیلت
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اصل شجاعت
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آیت محكم
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افتخار عالم و آدم
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آیت رازگوی قرآن
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اكسیر اعظم
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آیت وحدت
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امام بر حق
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آینهی جمال توحید
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امام شعبان
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امام انام
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امام انس و جان
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امام بردباران
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امام هدی
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امام المتقین
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امام العارفین
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امیرالمؤمنین
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امیر عاشقان
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امیر عرب
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امیر قائد و قائم
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امیر شوكت
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امیر دو سرا
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امیر لوكشف
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امیر عشق
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امیر ملك ولایت
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امیر یثرب
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امیر عدو بند
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امیر نحل
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امیر دریادل
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امیر عرش
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امیر مردان
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انسان كامل
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اهل بیت
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«ب»
باب علم و دانش
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بابت شبیر و شبر
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باب نجات
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باب مجتبی
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باعث ایجاد خلق
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باب رسالت
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بت شكن
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بحر كرامت
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بحر بی پایان
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بحر علوم
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بحر حلم
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بحر امان
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بحر حیا
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بدر الدجی
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برگزیده خدا
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برج مه هل اتی
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برادر پیامبر
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بسم الله مطلق
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بلبل گویای اسرار
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بندهی بی نظیر
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بوتراب
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بهرین دلور
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«پ»
پادشاه اتقیا
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پادشاه لوكشف
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پادشاه ذوالكرم
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پادشاه آسمان
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پادشاه باوقار
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پادشاه لامكان
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پادشاه ذوالنعم
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پادشاه دین
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پادشه ارض و سما
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پادشه دادگر
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پادشه بنده نواز
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پدر امت
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پدر عترت
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پدر عرفان
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پدر عالم هستی
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پرده گشا
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پروردهی نور خدا
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پسر عم پیمبر
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پیشگام مؤمنان
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پیش رو انبیاء
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پیشوای دین
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پیر استاد
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پیر مردان
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پیر مغان
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پیشوای خلق دو عالم
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پهوان عرشهی ؟
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«ت»
تاجدار خیل اعطا
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تاج بخش شهریاران
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تكیهگاه انبیا
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تأویل وحی
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تكرار آفرینش خدا
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ترازوی عدل
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«ج»
جام مصفا
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جامع قرآن
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جام جهان
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جان یزدان
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جان جاودان
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جان بخش
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جان پیغمبر
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جانشین محمد
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جمال بی نشان
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جلوه ذات خدا
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«ح»
حافظ قرآن
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حافظ احكام دین
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حاكم بر حق
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حاكم یومالحساب
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حامی یتیمان
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حامی قرآن
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حامی ستمدیدگان
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حامی دین
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حبل المتین
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حجت عصر
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حجت كردگار
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حشمتال...
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حقیقت حق
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حص حصن
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حضرت مهر
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حلال مشكلات
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حیدر
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حیدر صفدر
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حیدر ؟؟ سوار
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حیدر خیبرگشا
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حیدر لشرشكن
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حیدر كرار
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«خ»
خادم دین
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خاصف انعل
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خاضع مهربان
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خازن سبحان
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خانهزاد خدا
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خانقاه عشق
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خازن سبحان
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خدیو ملك هستی
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خدیو عدل و داد
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خداوند نعمت
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خسرو دنیا و دین
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خسرو ملك هدی
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خسرو دلول سوار
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خسرو هشت و چهار
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خسرو یومالغدیر
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خضر خسته پی
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خط ایسان
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خواجه صبر
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خورشید حیات
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خواجهی برجیس
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خورشید صفا
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خیر البركه
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«چ»
چراغ وحدت
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چراغ جان
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چشمه نور ازلی
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چشم حق
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«د»
دافعالبلایا
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دائمالذكر
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در مدینه علم
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دُر دریای حقیقی
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دُر دریای فتوت
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دُر دریای سرمد
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دُر بحر لافتی
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دُر شهامت
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دستگیر درماندگان
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دست خدا
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دریای بی ساحل
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دریای وفا
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دریای كرم
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دلیر مردان
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دیباچهی مروت
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«ر»
راز خدا
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راز خلقت
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رایت دین
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رایح آل محمّد
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رحمت مطلق
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رمز هستی
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ركن ایمان
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روح ایمان
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روح قرآن
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روح ولایت
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روح سخاوت
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روشنایی بخش
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رهبر راه حق
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راهنمای آوارگان
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رهنمای عالم
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«ز»
زاده كعبه
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زاهد زاهد
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زبدهی عالم
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زبدهی حق
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زوج زهرای بتول
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«س»
ساقی كوثر
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ساقی شیرگیر
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سالار اهل ملت
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سالار دین
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سحاب رحمت
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سرّ بی همتا
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سرالله اعظم
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سر حلقه عارفان
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سر حلقه اهل یقین
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سرلوحهی حقایق
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سرمایهی ایمان
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سرور آزادگان
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سرور روحانیون
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سریر آرای بزم دل
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سرو بستان ولایت
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سرّ خدا
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سردار اتقیا
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سرّ انبیا
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سرّ غیبالغیب
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سیدالوصین
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سید عابدین
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سفینه الساكین
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سلطان دین
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سلطان سریر
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«ش»
شافع محشر
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شاه عادل
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شاه شیراوژن
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شاه ولایت
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شاه نجف
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شاه مردان
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شاه غدیریه
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شاه لوكشف
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شاه جهان
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شاه سرافراز
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شاه مكه
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شاه اولیاء
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شاه دین
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شاه انس و جان
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شاهكار آفرینش
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شاهباز فلك
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شاه عرب
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شاهد كل
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شفابخش دل ایمان
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شمع ولایت
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شمشیر خدا
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شمس حكمت
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شمع هدایت
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شجر طور ولایت
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شمع جمع
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شهسوار عرصهی امكان
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شه مشكل گشا
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شه اتقیا
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شاه ملك لافتی
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شیر خدا
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شهید محراب
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«ص»
صاحب تقوی
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صاحب منبر
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صاحب تیغ دوسر
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صاحب جود و سخا
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صاحب امر
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صدف اسرار
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صراطالمستقیم
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صفدر غترفكن
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صفدر مرحب شكن
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صورستگر امكان
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صهر نبی
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«ط»
«ظ»
«ع»
عارف سجاد
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عاشق پیمبر
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عالم ربانی
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عالم آرای دین
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عالم علم لدنی
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عارف مطلق
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عروه الوثقای دین
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عقل دوم
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علم الله
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«غ»
غایت مقصود
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غواص بحر دل
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غایب اسرار
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«ف»
فاتح جنگ جمل
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فاتح خیبر
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فارس بدور نهروان
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فخر آل مصطفی
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فخر انبیاء
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فصاحت گوی
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فخر زمین
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فخر جهان
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فیض بخش عالم جهان
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«ق»
قائل قول سلوفی
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قاسم الارزاق
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قاسم فردوس
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قائل عنتر
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قاری قرآن
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قاضی دین
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قاسم جحیم و جهان
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قبلهی روح
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قبله اهل والا
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قبله اهل ادب
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قبلهی دلها
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قبله گاه رحمت
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قبله گاه قدسیان
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قبله گاه زمین خروشان
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قدرت الله
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قدوی خاندان
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قرآن ناطق
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قطب دین
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قلزم بحر كرم
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قهرمان خیبر
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قهرمان خندق
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«ك»
كاشف قرآن
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|
كاشف اسرار حق
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كان جود
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كان علم
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كتاب ناطق
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كدخدای دوسرا
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كشتی بحر نجات
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كهف الانام
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كعبهی آمال
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كعبهی جان
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كلام الله ناطق
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كلید گنج سعادت
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كوه حلم
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«گ»
گل توحید محمد
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گل بی خار
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گل گلزار
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گل كرامت
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گنج عشق
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گوهر بحر فضل
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گوهر مخزن ولایت
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لوح محفوظ
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«م»
ماه یثرب
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مالك الرقاب
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ماه تابان
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مبدأ خلقت
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مالك الملك
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محرم پروردگار
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محبوب خدا
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محرم اسرار
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محور هفت آسمان
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محبوب ربالعالمین
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محبوب پیامبر
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مجود ملایك
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مجری عدل
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مخزن علوم
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مخصوص نص هل اتی
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مدار ایمان
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مرد دین
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مرد اخلاص
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مرزبان فلك
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مرآت قرآن
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مرشد جبرئیل
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مرآت خدا
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مرد عابد
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مرد زاهد
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مشرق انوار قدسی
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مفخر كان كرامت
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مفخر زمان
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مظهر كل عجایب
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مظهر قدرت حق
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مظهر اسرار
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مظهر عدل
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مظهر مظلومیت
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مصلح دین
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مظهر فضیلت
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معیار حكومت اسلامی
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مظهر اوصاف خدا
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منادی حق
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مه هدایت
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مه سپهر امامت
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مهبط روحالامین
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مولای درویشان
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مولی الموحدین
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«ن»
ناطق قرآن
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ناشر احكام نبی
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نایب مناب
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ناظم یوم الودود
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نسخهی اسرار وحدت
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نقطهی عاشق
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نقطهی بسم الله
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نقطه امالكتاب
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نقطه اولی
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نفس نبی
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نفس اول
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نفس مصطفی
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نور ولایت
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نور امامت
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نور حقیقت
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نشانهی حق
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نور خدا
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نور چشم پیامبر
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«و»
وارث پیامبر
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واقف اسرار
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وجه الله
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وحی پیمبر
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وَلد كعبه
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ولی مطلق
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«هـ»
هادی گمگشتگان
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هادی دین
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همسر زهرا
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همراز پیامبر
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همای رحمت
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همدم چاه
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«ی»
یاور غریبان
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یاور یتیمان
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یار پیامبر
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یار ایمان
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یعسوب دین
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یدالله
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پیش درآمد طرح: مثنوی علینامه[1]
مست تو و جام توام یا علی عاشق درگاه توام یا ولی
دست به درگاه تو برون رو است درگه تو درگه عشق و وفاست
ای مه من! مست و خرابم! علی مست شدم مست شرابت علی
یا علی ای مصدر عشق و وفا یا علی ای شافع روز جزا
یا علی ای پنجهی قدرت نما فخر نبی، سایه و نور خدا
دست بگیرم چو كه درماندهام از همه در از همگان ماندهام
من چو شنیدم تو علّی دلی سر به سما بردم گفتم علی
جام وجودت به حقیقت دواست نور وجودت به حقیقت شفاست
وقت سحر ناله همی كرد صبا نیست سخاتر زعلی در فضا
مرد جوانمرد به حقیقت علیست نور وجودش به همه منجلیست
ای گل باغ نبوی یا علی ای كه به هر فن ز همه مهتری
ای مه میخانه شراری فروز نور مه و عاریت من سبوز
روز فرو رفته به شب آمده نونت عشق بازی عشاق به لب آمده
لعل بده تا بنوازم لبت عشوه كنم تا برسم بر دلت
جان جهان جام مصفا تویی هدیه به مستان منقا تویی
صبح كه شد عشق تو آمد علی ای ولی صاحب هر بیدلی
صبح چرا چنگ زدی دامنم مست شد آن نقش روی خاتمم
آیت حق، آیت رحمت تویی شیر جهان، مظهر قدرت تویی
میرعجم، میر ولایت تویی سمبل گلهای شهادت تویی
حافظ آیین محمّد (ص) علیت خواجهی قنبر به حقیقت ولیت
وقت سحر مجلیسی ساز كر چنگ گرفت باب علی باز كرد
گفت علی ای مه عاشق نشان جرعهای از عشق به ما برفشان
عشق علی عشق خدایی بود راه علی راه سماوی بود
مست علی مست هوایی بود عاشق وی هر دوسرایی بود
شك نكنم بحر معانی تویی مظهر گلهای جوانی تویی
بحر چه گویم! كه نجاتم تویی گل به چه گویم كه حیاتم تویی
داور دین ساقی كوثر سلام فخر نبی فاتح خیبر سلام
سایهی تو سایهی پیغمبر است نور وجودت به همه گوهر است
جام نبوشان كه تو نوشندهای راه نما چو تو نمایندهای
زیور ماه زیوری از اوی توست چشم جهان روز شبان سوی توست
پس تو بتاب ای مه عالم فروز خار سیاه دل عالم بسوز
دست بگیرم چو كه درماندهام خسته شده از همه در راندهام
عاشقی و صادقی یك پیشه است در دل آنكس زعلی ریشه است
جان علی! نوكر تو عاشق است هر چه تو گویی همه را صادق است
جان علی! عبد تو درمانده شد جز ره تو از همگان رانده شد
لطف و كرم راز پیش سازكن قفل در میكده را باز كن
میرعجم، قطب امامت سلام پیرمغان، مرد شهامت سلام
در طلبم تا كنم خلوتی از تو بخواهم به دلم مهلتی
با علی هر كس كه كند خلوتی عشق الهی بكند رحمتی
گفتِ علی گفته پیغمبر است چونكه علی زادهی آن پیكر است
یا علی ای سبز سرای یقین كن نظری این همه عاشق ببین
ما همگی بنده راه توئیم مفتخر منزل و جاه توئیم
آمده ایم تا كه كنیم خلوتی كاسه دل پرشود از شربتی
بر همگان سفره دل باز كن قصهای از عرش به ما ساز كن
نوبتیان! طبل به صحر از نید نای زنان، نفس به كرنا دهید
مژده دهید هدهد هادی رسید آب روان از همه صحرا رسید
گمشدگان! مژده كه آمد علی تشنه لبان! مژده كه آمد ولی
نوبت عشاقی و عشق بازی است هرچه در این پرده بود راضی است
مست و غزلخوان به درت آمدم دست زنان تا به برت آمدم
آمدهام تا كه ببوسم تو را سر بنهم تا كه بپوشم تُرا
سهل و ایثار و كرامت علیت رهبر دینی و امامت علیت
كنتُ نبیاً ز پیش مرتضاست چونكه غدیریه بر این مدعاست
شاه غدیر به نامت مستم بی تو حقیقت من كس بیكسم
نام عزیزت كه شفا می دهد مرده دلم را كه صفا می دهد
عاشق آن نام عزیزت منم هر شب و هر روز به آن می زنم
جان به فدای سر زیبای تو آن تن زیبایی و رعنای تو
ای شجر طور ولایت علی! گنج بقا، اصل سعادت علی
پادشه معنی و صورت تویی معنی قرآن به حقیقت تویی
زُهد علی چون به زبانم رسید یك دو سه بیتی زروانم رسید
چونكه به محراب وفا می رسید همهمهای از همه جا می رسید
مُهر و سجادهی محرابگاه منتظر روی علی از پگاه
سجده گهش منتظر آب بود چون نم چشمش دُر رناب بود
یا علی! از زهد تو مجنون شدم تا آخر عمرم به تو مدیون شدم
ای گل فرخندهی باغ خدا ای علی! ای سرور هر دو سرا
ای كه چو آیینه درخشندهای همچو همان آیینه بخشندهای
فخر دو عالم به علی بوده است مایه غیرت به درش سودن است
چونكه علی هدیهی باغ خداست دائم از آن چهره گلی درنماست
ای گل من ای گل بیادعا ای كه شدی منبع جود سخا
شب كه رسید این دل ما غم گرفت بی تو علی پردهی ماتم گرفت
پرده ز ما دور كن ای سرورم ای كه تویی در همه ره رهبرم
یا علی ای عطر بهشت برین شاه نجف، گوهر و دُر ثمین
برگزری راه به میخانه بود قصه در آن جمع زپیمانه بود
عاشقی در گوشهی میخانه بود سبز گلی غنچه گلی تازه بود
گفت كه ساقی: زشرابم بگو گفت برو جام شرابت ببو
آنچه مرا سبز و دیوانه كرد غنچه گل تازه و مستانه كرد
آن اثر عِطر علی ولیست كه همه جا بر همگان منجلیت
حیدر كرار تو كرار كن مشكل دل را به سردار كن
ای كه در آن كوه به هنگام وحی غیر تو را مرد عمل كرده نهی
جامع قرآن به حقیقت تویی مبدأ ایمان به حقیقت تویی
جلوه حق در دل هر بیدلی كعبهی مقصود به هر منزلی
یا علی ای سید و سالار دین ساقی حق، مهبط روح الامین
مست و خراب راندهی هر درگهیم پرده دریم پرده زهر پردهایم
می تو بنوشان كه تو نوشنده ای پرده بكش چونكه پوشندهای
بر تو امید است كه تو حیدری بر همه شاهان جهان برتری
با سند عشق نجاتم بده غرق غمم آب حیاتم بده
ای پدر و یار غریبان علی ای مه در پردهی پنهان علی
اصل غریبی به جهان برین جز تو كسی نیست به ناف زمین
چون گل باغ نبوی پر گرفت آتش ماتم به جهان درگرفت
گفت علی: وای كه تنها شدم بی كس و بی سرور و مولا شدم
وه بنوازم به تو و غربتت كاش بُدم شانه زدم بر سرت
ای شه دین یا علی ای صف شكن این همه غمهای مرا درشكن
ما چو گدایان كه سرافكندهایم چشم عنایت به درت بستهایم
بسته نگه دار كه ما لایقیم گر تو بخواهی همگی عاشقیم
نیم شبی این دل ما پرگرفت شاد بشد عشق علی سر گرفت
در تب عشقش چوبی سوخته شد هوش برفت از همه ره گنده شد
ناله و افغان زهمه سرگرفت یا علی گویان زهمه درگرفت
یا علی گویان چو هم آوا شدند دست زنان دست به مولا شدند
از نجف آمد رخ رخشندهای رخ كه نگو یك مه تابندهای
ای مه رخشندهی كوی نجف ای دُر یكدانه به كوی شرف
كوی نجف از تو سرافراز شد محفل مردانگی و راز شد
ای كه تو سرلوحهی یزدان شدی در همه ره حامی مردان شدی
ای كه كدامت همه بی مدعاست وصف تو الحق كه همان هل اتی است
[1] - این مثنوی سروده مؤلف طرح است كه اتباتی از آن گلچین شده است.